संज्ञा (Noun) का अर्थ है– नाम (Name)। Sangya ki Paribhasha – संज्ञा उस शब्द को कहते हैं, जिससे किसी विशेष वस्तु, व्यक्ति, स्थान और भाव के नाम का बोध होता है। यहाँ ‘वस्तु’ शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थ में है, जो केवल प्राणी और पदार्थ का वाचक नहीं बल्कि उसके धर्मों को भी व्यक्त करता है।
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Sangya Kise Kahate Hain
संज्ञा के अन्तर्गत वस्तु और प्राणी के नाम के साथ ही उसके धर्म-गुण भी आते हैं। संज्ञा विकारी शब्द है, क्योंकि संज्ञा शब्दों में लिंग, वचन और कारक के अनुसार विकार अर्थात् रूप परिवर्तन होता है।
उदाहरण
- लिंग के अनुसार– दादा-दादी, नायक-नायिका, मोर-मोरनी।
- वचन के अनुसार– लता-लताएँ, पुस्तक-पुस्तकें।
- कारक के अनुसार– लड़की से पूछो, लड़कियों से पूछो।
कुछ संज्ञा शब्द ऐसे होते हैं, जिसमें अलग-अलग सन्दर्भों में प्रयुक्त होने पर भी कोई रूप परिवर्तन नहीं होता, किन्तु उनके अर्थ में पर्याप्त अन्तर होता है।
उदाहरण
- 1. उसे ठंडा पानी पिलाओ।
- 2. मेरे मुँह में पानी भर आया।
- 3. तुम्हारी आँखों में जरा भी पानी नहीं है।
- 4. उसकी आशाओं पर पानी फिर गया।
- 5. उसकी चेहरा पानी–पानी हो गया।
- 6. उसे पानी देने वाला भी न मिलेगा।
Sangya Ke Bhed
संज्ञा के भेद
- व्यक्तिवाचक संज्ञा
- जातिवाचक संज्ञा
- भाववाचक संज्ञा
- समूहवाचक संज्ञा
- पदार्थवाचक/ द्रव्यवाचक संज्ञा
Vyaktivachak Sangya Kise Kahate Hain
व्यक्तिवाचक संज्ञा (Vyaktivachak Sangya ki Paribhasha)
किसी खास व्यक्ति या वस्तु विशेष नाम का बोध कराने वाले शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाते हैं। प्रत्येक व्यक्तिवाचक संज्ञा अपने मूल रूप में जातिवाचक संज्ञा होती है, किन्तु जाति विशेष के प्राणी या वस्तु को जब कोई नाम दिया जाता है, तब वह नाम व्यक्तिवाचक संज्ञा बन जाता है। व्यक्तिवाचक संज्ञा निम्नलिखित रूपों में होती है-
- व्यक्तियों के नाम –सीता, राधा, राम।
- दिन और महीनों के नाम – रविवार, मंगलवार,बुधवार, वृहस्पतिवार, जनवरी, फरवरी, मार्च,अप्रैल आदि।
- देशों के नाम – भारत, चीन, पाकिस्तान, अमेरिका, रुस, जापान आदि।
- दिशाओं के नाम – पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, आकाश, पाताल आदि।
- नदियों के नाम – गंगा, यमुना, गोदावरी, कावेरी, सिन्धु, नर्मदा, फल्गु आदि।
- त्योहार और उत्सवों के नाम – होली, दीवाली, ईद, बैसाखी, दशहरा आदि।
- नगरों और मार्गों के नाम – दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, पटना, गया, महात्मा गाँधी मार्ग, राजेंद्र नगर पथ आदि।
- पुस्तकों के नाम – रामायण, गीता, कुरान, बाइबिल, वेद, उपनिषद् आदि।
- समाचार पत्रों के नाम – अमर उजाला, दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान, टाइम्स ऑफ़ इंडिया आदि।
- पर्वतों के नाम – हिमालय, विन्ध्याचल, शिवालिक, अलकनंदा,आदि।
Jativachak Sangya Kise Kahate Hain
जातिवाचक संज्ञा (Jativachak Sangya ki Paribhasha)
प्राणियों या वस्तुओं की जाति का बोध कराने वाले शब्दों को जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-
- मनुष्य -लड़का, लड़की, नर, नारी, मर्द, औरत आदि।
- पशु-पक्षी -गाय, बैल, बंदर, कोयल, कौआ, तोता, मैना आदि।
- वस्तु -घर, किताब, कलम, मेज, बर्तन, कुर्सी आदि।
- पद–व्यवसाय -अध्यापक, छात्रा, लेखक, व्यापारी, नेता, अभिनेता आदि।
जातिवाचक संज्ञा के दो उपभेद हैं–
1. समूहवाचक संज्ञा तथा 2. द्रव्यवाचक संज्ञा
समूहवाचक संज्ञा (Samuhvachak Sangya Ki Paribhasha)
जिस संज्ञा (Noun)) से एक ही जाति के व्यक्तियों या वस्तुओं के समूह का बोध होता है, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।
Samuhvachak Sangya Ke Udaharan
- व्यक्ति समूह –संघ, वर्ग, दल, गिरोह, सभा, भीड़, मेला, कक्षा, झुंड. समिति, जुलूसा इत्यादि।
- वस्तु-समूह – गुच्छा, श्रृंखला, माला, हार इत्यादि।
द्रव्यवाचक संज्ञा (Dravyavachak Sangya Ki Paribhasha)
द्रव्यवाचक संज्ञा – द्रव्यवाचक संज्ञा को पदार्थवाचक संज्ञा भी कहते हैं। इससे उस द्रव्य या पदार्थ का बोध होता है, जिन्हें मापा या तौला तो जा सकता है, परन्तु गिन/गणना नहीं की जा सकती है। यह संज्ञा सामान्यतः एकवचन में होती है। इसका बहुवचन नहीं होता। जैसे- धातु अथवा खनिज पदार्थ- सोना, चाँदी, कोयला, लोहा, हीरा इत्यादि। खाद्य पदार्थ- दूध, पानी, तेल, घी, चावल, गेहूं इत्यादि।
Bhavvachak Sangya Kise Kahate Hain
भाववाचक संज्ञा (Bhavvachah Sangya Ki Paribhasha)
भाववाचक संज्ञा उसे कहते हैं, जिस शब्द से किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण-धर्म, कर्म, अवस्था, भाव, दशा आदि का बोध होता हो। भाववाचक संज्ञाओं का संबंध हमारे भावों से होता है। इनका कोई रूप या आकार नहीं होता है। भाववाचक संज्ञा का प्रायः बहुवचन नहीं होता। जैसे-
- मनोभाव – प्रेम, घृणा, दुःख, शान्ति, मीठा, तीखा आदि।
- अवस्था -बचपन, बुढ़ापा, अमीरी, गरीबी, जवानी आदि।
Bhavvachak Sangya Ke Udaharan
जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा
जातिवाचक संज्ञा | भाववाचक संज्ञा |
बालक | बालकपन |
मनुष्य | मनुष्यत्व / मनुष्यता |
देव | देवत्व |
नारी | नारीत्व |
विद्वान् | विद्वता |
मित्र | मित्रता / मैत्री |
अमीर | अमीरी |
व्यक्ति | व्यक्तित्व |
स्त्री | स्त्रीत्व |
सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा
सर्वनाम | भाववाचक संज्ञा |
आप | आपा |
अपना | अपनापन / अपनत्व |
पराया | परायापन |
निज | निजता |
स्व | स्वत्व |
विशेषण से भाववाचक संज्ञा
विशेषण | भाववाचक |
ठंढा | ठंढाई |
बूढ़ा | बुढ़ापा |
मधुर | माधुर्य/मधुरता |
मीठा | मिठाई /मिठास |
सुन्दर | सुन्दरता |
तपस्वी | तप |
भला | भलाई |
कमजोर | कमजोरी |
चतुर | चातुर्य /चतुराई /चतुरता |
स्वस्थ | स्वास्थ्य |
स्वतंत्र | स्वतंत्रता /स्वातंत्र्य |
काला | कालिया |
कंजूस | कंजूसी |
जवान | जवानी /यौवन |
क्रिया से भाववाचक संज्ञा
क्रिया | भाववाचक संज्ञा |
पढ़ना | पढाई |
रोना | रुलाई |
धोना | धुलाई |
हँसना | हंसी |
चिल्लाना | चिल्लाहट |
खेलना | खेल |
घबराना | घबराहट |
सजाना | सजावट |
दिखाना | दिखावट |
धिक् | धिक्कार |
Sangya Pad Band
संज्ञा की पद व्याख्या
किसी वाक्य से संज्ञा पदों का चयन कर उनके भेद और लिंग, वचन, रूप (तिर्यक या मूल), कारक तथा कारकीय संबंध दिखाना ही संज्ञा पद को व्याख्या करना कहलाता है।
संज्ञा पद की व्याख्या के कुछ उदाहरण निम्नाकित हैं–
1. विद्यार्थियों ने पाठशाला में बैठक की।
- संज्ञापद –विद्यार्थियों (ने), विद्यालय (में), सभा।
- विद्यार्थियों (ने) – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग बहुवचन, तिर्यक रूप कर्ताकारक, ‘ने’ का संबंध क्रिया ‘की’।
- पाठशाला (में) -जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग एकवचन, तिर्यक रूप अधिकरण कारक।
- बैठक -जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, मूलरूप, कर्म कारक।
2. श्याम अपने विद्यालय गया है।
- संज्ञा पद -मोहन, घर।
- श्याम -जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, मूलरूप, कर्ता कारक
- विद्यालय -जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, मूलरूप।
3. देवियों और सज्जनों । कृपया शान्त रहें।
संज्ञा पद – देवियों और सज्जनों – जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग और पुल्लिंग, बहुवचन, सम्बोधन रूप, सम्बोधन कारक
संज्ञा प्रयोग संबंधी विशेष नियम
समूहवाचक और जातिवाचक संज्ञाओं का संबंध
सभी समूहवाचक संज्ञाएँ प्रत्येक जातिवाचक संज्ञाओं के साथ प्रयुक्त नहीं होती है। दोनों में विशिष्ट संबंध होता है, जिनके आधार पर उनका परस्पर प्रयोग सुनिश्चित होता है, जैसे-
अशुद्ध प्रयोग
- 1. मंत्रियों का गिरोह प्रधानमंत्री से मिला।
- 2. खजूरों का ढेर कितना ताजा है।
- 3. लुटेरों के शिष्टमण्डल ने आत्मसमर्पण कर दिया।
- 4. फूलों का झुंड बहुत सुन्दर है।
इन वाक्यों में मंत्रियों, खजूरों, लुटेरों और फूलों के लिए क्रमशः गिरोह, ढेर, शिष्टमण्डल और झुंड का प्रयोग अशुद्ध है।
अत: अशुद्ध प्रयोग से बचने के लिए समूहवाचक संज्ञा और जातिवाचक संज्ञा के निम्नलिखित संबंध को ध्यान में हमेशा रखा जाना चाहिए –
- 1. श्रृंखला -पर्वतों की (अब मानव श्रृंखला भी बनने लगी है)।
- 2. जत्था -सैनिक, स्वयंसेवकों का।
- 3. मण्डल -नक्षत्रों, व्यक्तियों का।
- 4. गिरोह -चोर, डाकुओं, लुटेरों, जेबकतरों का।
- 5. काफिला/कारवाँ – ऊँटों, यात्रियों का।
- 6. ढेर -अनाज, फल, तरकारी का।
- 7. मण्डली -गायकों, विद्वानों, मूखों की।
- 8. संघ -कर्मचारी, मजदूर, राज्यों का।
- 9. झुंड -भेड़ों या बिना सोचे-समझे काम करने वालों व्यक्तियों का।
- 10. शिष्टमण्डल -अच्छे उद्देश्यों के लिए कुछ व्यक्तियों का समूह।
द्रव्यवाचक संज्ञाओं का वचन
जिस पदार्थवाचक संज्ञाओं या द्रव्यवाचक संज्ञाओं के साथ यदि मात्रावाचक विशेषण का प्रयोग हो तो वह एकवचन में प्रयुक्त होती हैं। आइए उदहारण के रूप में कुछ वाक्यों को देखते हैं-
- 1. मुझे पाँच किलो मिठाइयाँ चाहिए।
- 2. उसने दो टन लोहे खरीदे।
इन वाक्यों में ‘मिठाइयाँ‘ और ‘कोयले‘ का प्रयोग अशुद्ध है, क्योंकि उनके साथ मात्रावाचक शब्दों ‘पाँच किलो‘ और ‘दो टन‘ का प्रयोग हुआ। इसके अलावे खाने-पीने के अर्थ में भी पदार्थवाचक/ द्रव्यवाचक संज्ञाओं का प्रयोग हमेशा एकवचन में ही करना चाहिए। उदहारण स्वरूप –
- 1. तुम्हें जलेबियाँ अच्छी नहीं लगती।
- 2. घी की बनी मिठाइयाँ अच्छी होती हैं।
- 3. आज हमलोगोंने चपातियाँ और रसमलाइयाँ खायीं।
इन वाक्यों में जलेबियाँ, मिठाइयाँ, चपातियाँ और रसमलाइयाँ का अशुद्ध प्रयोग है। इसके स्थान पर जलेबी, मिठाई, चपाती और रसमलाई का प्रयोग शुद्ध होगा।
भाववाचक संज्ञाओं का वचन
प्रायः भाववाचक संज्ञा शब्दों का प्रयोग बहुवचन में नहीं होता है, जैसे-
- 1. नन्हे बच्चों की चंचलताएँ मन को मोह लेती हैं।
- 2. भारत-पाकिस्तान के बीच शत्रुताएँ अधिक हैं, मित्रताएँ न के बराबर।
- 3. इन सभी कमरों की लम्बाइयाँ-चौड़ाइयाँ क्या हैं?
- 4. एड्स के मरीज कमजोरियों के कारण चल-फिर नहीं सकता।
- 5. आपलोगों ने मेरे साथ बहुत भलाइयाँ की हैं।
इन वाक्यों में भाववाचक संज्ञाएँ –चंचलताएँ, शत्रुताएँ, मित्रताएँ, लम्बाइयाँ–चौड़ाइयाँ, कमजोरियों और भलाइयाँ का बहुवचन में अशुद्ध प्रयोग है। इनके स्थान पर इनका प्रयोग एकवचन में ही होना चाहिए। अपवाद स्वरूप भाववाचक संज्ञाओं का बहुवचन प्रयोग वहाँ उचित होता है, जहाँ विविधता का बोध होता है। ऐसे स्थलों पर भाववाचक संज्ञा का बहुवचन प्रयोग जातिवाचक संज्ञा के समान होता है।
उदाहरण
- 1. मनुष्य में बहुत-सी कमजोरियाँ होती हैं।
- 2. ‘कामायनी’ पुस्तक की अनेक विशेषताएँ हैं।
आदरसूचक संज्ञा शब्दों के लिए बहुवचन का प्रयोग
व्यक्तिवाचक और जातिवाचक संज्ञा शब्दों के साथ एकवचन होने पर भी सम्मान/आदर का भाव प्रकट करने के लिए बहुवचन क्रिया का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण
- 1. कालिदास एक श्रेष्ठ कवि थे।
- 2. आप आजकल नजर नहीं आ रहे हैं?
- 3. राष्ट्रपतिजी आज नहीं आयेंगे।
- 4. पिताजी अभी पटना से नहीं लौटे हैं।
- 5. माँजी! आप कहाँ जा रही हैं?
- 6. गुरुदेव! मैं आपके दर्शन के लिए रुका था।
पुल्लिंग बहुवचन की जातिवाचक संज्ञाएँ -कुछ जातिवाचक संज्ञाएँ सदैव पुल्लिंग में प्रयोग की जाती हैं। जैसे-प्राण, आँसू, अक्षत, ओंठ आदि एकवचन में होते हुए भी बहुवचन में प्रयुक्त किए जाते हैं।
- 1. रोगी के प्राण निकल चुके थे।
- 2. शेर के बाल होते हैं, शेरनी के नहीं।
- 3. मैंने अपने हस्ताक्षर कर दिए थे।
- 4. बारातियों पर अक्षत बरसाए गए।
Objective Question
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (संज्ञा से सम्बंधित)
1 . जो शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान की संपूर्ण जाति का बोध करता हो, उन शब्दों को क्या कहते हैं?
(a) जातिवाचक (b)व्यक्तिवाचक (c) द्रव्यवाचक संज्ञा (d) भाववाचक संज्ञा
2 . निम्न विकल्पों में से कौन-सा शब्द भाववाचक संज्ञा है?
(a) मधुर (b) मीठाई (c) मधुरता (d) उपरोक्त सभी
3. मेरे पास ‘हीरे’ के आभूषण हैं। इस वाक्य में कौन-सी संज्ञा है ?
(a) भाववाचक संज्ञा (बb)व्यक्तिवाचक (c) द्रव्यवाचक संज्ञा (d) समूहवाचक
4. जिन संज्ञा शब्दों से किसी भी व्यक्ति या वस्तु के समूह का बोध होता है, उन शब्दों को क्या संज्ञा कहते हैं?
(a) समूहवाचक (b) जातिवाचक (c) द्रव्यवाचक संज्ञा (d)व्यक्तिवाचक
5. निम्नाकित में से चतुर का भाववाचक संज्ञा कौन है ?
(a) चतुरता (b) चतुराई (c) चातुर्य (d) इनमें से सभी
6. किसी भी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम का बोध कराने वाली संज्ञा क्या कहलाती हैं?
(a)व्यक्तिवाचक (b) जातिवाचक (c) द्रव्यवाचक संज्ञा (d) भाववाचक संज्ञा
7. ‘गाँव’, ‘स्कूल’, ‘शहर’, ‘बगीचा’, ‘नदी’ शब्द से किस संज्ञा का बोध होता है?
(a) जातिवाचक (b) भाववाच (c) द्रव्यवाचक (d) समूहवाचक
8. इनमें से कौन संज्ञा का भेद है ?
(a) विशेषण (b) सर्वनाम (c) जातिवाचक (d) उपसर्ग
9. किसी जाति, द्रव्य, गुण, भाव, व्यक्ति, स्थान और क्रिया आदि के नाम को क्या कहते हैं।
(a) विशेषण (b) सर्वनाम (c) कारक (d) संज्ञा
10. वह शब्द, जिससे किसे सजीव वस्तु का बोध हो, जिसमें प्राण हो, उसे कौन-सी संज्ञा कहते हैं?
(a) समूहवाचक संज्ञा (b)व्यक्तिवाचक (c) जीववाचक (d) जातिवाचक
11. ‘अपना’ शब्द से किस भाववाचक संज्ञा शब्द का निर्माण होगा?
(a) आप (b) आपा (c) अपनत्व (d) अपनी
12. जिस व्यक्ति, वस्तु, पदार्थ आदि की गणना नहीं की जा सकती है; जिसकी संख्या ज्ञात नहीं की जा सकती है, वह शब्द कौन-सी संज्ञा कहलायेगा ?
(a) गणनीय संज्ञा (b) अगणनीय संज्ञा (c) जातिवाचक (d) द्रव्यवाचक
13. ‘घोडा दौड़ रहा है’ वाक्य में संज्ञा कौन-सा शब्द है?
(a) घोड़ा (b) दौड़ (c) रहा (d) है
14. जिस संज्ञा शब्दों से किसी धातु, द्रव्य, सामग्री, पदार्थ आदि का बोध हो, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं। निम्नलिखित में कौन-सा द्रव्यवाचक शब्द का उदाहरण है?
(a) ताँबा (b) सोना (c) हीरा (d) उपरोक्त सभी
15. जिस वस्तु में प्राण न हो, वह कहलाता है।
(a) अप्राणिवाचक (b) प्राणवाचक (c) जातिवाचक (d) भाववाचक संज्ञा
16. ‘मेज’, ‘रेलगाड़ी’, ‘मकान’, ‘पुस्तक’, ‘पर्वत’ कौन-सी संज्ञा कहलायेंगे?
(a) अप्राणिवाचक (b) प्राणवाचक (c) जातिवाचक (d) भाववाचक संज्ञा
17. निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द संज्ञा है?
(a) क्रोधी (b) कुद्ध (c) क्रोध (d) क्रोधित
18. ‘स्त्रीत्व’ शब्द में कौन-सी संज्ञा है?
(a) जातिवाचक (b) भाववाचक (c) द्रव्यवाचक (d) समूहवाचक
19. जातिवाचक संज्ञा के कितने भेद हैं?
(a) 2 (b)3 (c) 4 (d) 5
20. भाववाचक संज्ञा बनाते समय शब्दों के अंत में किन शब्दों का प्रयोग किया जाता है ?
(a) पन (b) त्व (c) ता (d) उपरोक्त सभी
21. संज्ञा का रूपान्तर लिंग, वचन और… के कारण होता है।
(a) विशेषण (b) भाववाचक (c) कारक (d) सर्वनाम
22. ‘बच्चे खिलौनों से खेल रहे हैं।’ ‘इस वाक्य में ‘बच्चे’ और ‘खिलौने’, शब्द किस संज्ञा की श्रेणी में आते हैं?
(a) विशेषवाचक (b) जातिवाचक (c) भाववाचक संज्ञा (d) समूहवाचक
इन्हें भी अध्ययन करें-
- Hindi to Sanskrit Translation Set
- Sanskrit mein Anuvad
- Sanskrit to English Translation (Sanskrit Voice)
- Hindi to Sanskrit Translation (Sabhi Vibhakti mein)
Conclusion – Friends पूरी उम्मीद है कि Sangya Ki Paribhasha आप अच्छी तरह से समझ गये होंगे. हिन्दी व्याकरण से सम्बंधित हमारा अन्य Article का अध्ययन करने के लिए website पर पुनः पधार सकते हैं. धन्यवाद!