Friends इस Blog Post में As Dhatu Roop के 5 Lakaar के धातु रूप लिखा हूँ। जिसके Sanskrit Translation, Meaning और प्रत्यय को भी विस्तृत रूप से बताया हूँ। शरू से अंत तक जरुर अध्ययन कीजिएगा।
As dhatu roop – लट् लकार (वर्तमान काल – present tense)
अस् – होना (To Become)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | अस्ति | अस्तः | सन्ति |
मध्यम पुरुष | असि | स्थः | स्थ |
उत्तम/अन्य पुरुष | अस्मि | अस्वः | अस्मः |
Table of Contents
as dhatu roop – लट् लकार धातु प्रत्यय
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | ति | तः | अन्ति |
मध्यम पुरुष | सि | थ: | थ |
उत्तम/अन्य | आमि | आवः | आमः |
As dhatu roop in sanskrit – प्रत्यय योग
पपुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | अस् + ति = अस्ति | अस् + तः = अस्तः | अस् + अन्ति = सन्ति |
मध्यम पुरुष | अस् + सि = असि | अस् + थ: = अस्थः | अस् + थ = अस्थ |
उत्तम पुरुष | अस् + आमि = अस्मि | अस् + आवः = अस्वः | अस् + आमः = अस्मः |
अस् के धातु रूप – लट् लकार के संस्कृत अनुवाद
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | सः अस्ति = वह है। सा अस्ति = वह है। | तौ अस्तः = वेदोनों हैं। ते अस्तः = वे दोनों हैं। | ते सन्ति = वे लोग हैं। ता सन्ति = वेलोग हैं। |
मध्यम पुरुष | त्वं असि = तुम हो। | युवाम अस्थः = तुम दोनों हो। | यूयम अस्थ = तुमलोग हो। |
उत्तम/अन्य पुरुष | अहम् अस्मि = मैं हूँ। | आवाम अस्वः = हमदोनों हैं। | वयम अस्मः = हमलोग हैं। |
As Ke Dhatu Roop – लङ् लकार (भूतकाल – Past Tense)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | आसीत् | अस्ताम् | आसन् |
मध्यम पुरुष | आसी: | आस्तम् | आस्त् |
उत्तम/अन्य पुरुष | आसम् | आस्व | आस्म |
अस् धातु रूप – लङ् लकार धातु प्रत्यय
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | अ….त् | अ….ताम् | अ….अन् |
मध्यम पुरुष | अ….अः | अ….तम् | अ….त् |
उत्तम/अन्य | अ….अम् | अ….आव | अ….आम |
अस् धातु रूप – प्रत्यय के योग (लङ् लकार past tense)
पपुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | अ + अस् + त् = आसीत् | अ + अस् + ताम् = आस्ताम् | अ + अस् + अन् = आसन् |
मध्यम पुरुष | अ + अस् + अः = आसी: | अ + अस् + तम्: = आस्तम् | अ + अस् + त् = आस्त् |
उत्तम पुरुष | अ + अस् + अम् = आसम् | अ + अस् + आव = आस्व | अ + अस् + आम = आस्म |
धातु रूप अस् – लङ् लकार संस्कृत अनुवाद
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | सः आसीत् = वह था। सा आसीत् = वह थी। | तौ आस्ताम् = वेदोनों थे। ते आस्ताम् = वेदोनों थीं। | ते आसन् = वेलोग थे। ता आसन् = वेलोग थीं। |
मध्यम पुरुष | त्वं आसी: = तुम थे। | युवाम आस्तम् = तुम दोनों थे। | यूयम आस्त् = तुमलोग थे। |
उत्तम/अन्य पुरुष | अहम् आसम् = मैं था। | आवाम आस्व = हमदोनों थे। | वयम आस्म = हमलोग थे। |
अस् धातु रूप – लृट् लकार ( भविष्यत् काल – Future Tense)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | भविष्यति | भविष्यतः | भविष्यन्ति |
मध्यम पुरुष | भविष्यसि | भविष्यथ: | भविष्यथ |
उत्तम/अन्य पुरुष | भविष्यामि | भविष्यावः | भविष्यामः |
विशेष – लृट् लकार में धातु रूप बनाते समय अस् का भव हो जाता है।
As dhatu roop in sanskrit – लृट् लकार के धातु प्रत्यय
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | स्यति | स्यतः | स्यन्ति |
मध्यम पुरुष | स्यसि | स्यथः | स्यथ |
उत्तम/अन्य | स्यामि | स्यावः | स्यामः |
अस् के धातु रूप संस्कृत – प्रत्यय योग (लृट् लकार)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | भव + स्यति = भविष्यति | भव + स्यतः = भविष्यत: | भव + स्यन्ति = भविष्यन्ति |
मध्यम पुरुष | भव + स्यसि = भविष्यसि | भव + स्यथः = भविष्यथ: | भव + स्यथ = भविष्यथ |
उत्तम/अन्य | भव + स्यामि = भविष्यामि | भव + स्यावः = भविष्यावः | भव + स्यामः = भविष्यामः |
अस् धातु रूप – लृट् लकार संस्कृत अनुवाद
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | सः भविष्यति = वह होगा। सा भविष्यति = वह होगी। | तौ भविष्यत: = वे दोनों होंगे। ते भविष्यत: = वे दोनों होंगी। | ते भविष्यन्ति = वेलोग होंगे। ता भविष्यन्ति = वेलोग होंगी। |
मध्यम पुरुष | त्वं भविष्यसि = तुम होगे। | युवाम भविष्यथ: = तुमदोनों होंगे। | यूयम भविष्यथ = तुमलोग होंगे। |
उत्तम/अन्य पुरुष | अहम् भविष्यामि = मैं होऊंगा। | आवाम भविष्यावः = हमदोनों होंगे। | वयम भविष्यामः = हमलोग होंगे। |
अस् धातु रूप संस्कृत – लोट् लकार ( अनुज्ञा – Order)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | अस्तु | स्ताम् | सन्तु |
मध्यम पुरुष | स्तात् | स्त्तम् | स्त |
उत्तम/अन्य पुरुष | असानि | असाव | असाम |
As Ka dhatu roop – धातु प्रत्यय (लोट् लकार)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | तु | ताम् | अन्तु |
मध्यम पुरुष | अ | तम् | त् |
उत्तम/अन्य | आनि | आव | आम |
धातु रूप अस् के – प्रत्यय योग (Lot Lakaar – Order)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | अस् + तु = अस्तु | अस् + ताम् = स्ताम् | अस् + अन्तु = सन्तु |
मध्यम पुरुष | अस् + अ = स्तात् | अस् + तम् = स्तम् | अस् + त् = स्त् |
उत्तम/अन्य | अस् + आनि = असानि | अस् + आव = असाव | अस् + आम = असाम |
अस् धातु रूप – लोट् लकार संस्कृत अनुवाद
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | सः अस्तु = वह होए। सा अस्तु = वह होए। | तौ स्ताम् = वे दोनों होएं। ते स्ताम् = वे दोनों होएं। | ते सन्तु = वेलोग होएं । ता सन्तु = वेलोग होएं। |
मध्यम पुरुष | त्वं स्तात् = तुम होओ। | युवाम स्तम् = तुमदोनों होओ। | यूयम स्त् = तुमलोग होओ। |
उत्तम/अन्य पुरुष | अहम् असानि = मैं होऊ। | आवाम असाव = हमदोनों होएं। | वयम असाम = हमलोग होएं। |
As Ke dhatu roop : विधिलिङ् लकार (चाहिए – Should)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | स्यात् | स्याताम् | स्यु: |
मध्यम पुरुष | स्याः | स्यातम् | स्यात् |
उत्तम/अन्य पुरुष | स्याम् | स्याव | स्याम |
As dhatu roop – विधिलिङ् (चाहिए) धातु प्रत्यय
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | ईत् (एत्) | ईताम् (एताम्) | ईयु: (एयु:) |
मध्यम पुरुष | ई: (ए:) | ईतम् (एतम्) | ईत् (एत्) |
उत्तम/अन्य | ईयम् (एयम्) | ईव (एव) | ईम (एम) |
अस् धातु रूप – प्रत्यय योग (विधिलिङ् – Should)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | अस् + ईत् (एत्) = स्यात् | अस् + ईताम् (एताम्) = स्याताम् | अस् + ईयु: (एयु:) = स्यु: |
मध्यम पुरुष | अस् + ई: (ए:) = स्या: | अस् + ईतम् (एतम्) = स्यातम् | अस् + ईत् (एत्) = स्यात् |
उत्तम/अन्य | अस् + ईयम् (एयम्) = स्याम् | अस् + ईव (एव) = स्याव | अस् + ईम (एम) = स्याम |
अस् धातु रूप – विधिलिङ् (Should) लकार संस्कृत अनुवाद
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | सः स्यात् = उसे होना चाहिए। सा स्यात् = उसे होनी चाहिए। | तौ स्याताम् = वे दोनों को होना चाहिए। ते स्याताम् = वे दोनों को होनी चाहिए। | ते स्यु: = वेलोगों को होना चाहिए। ता स्यु: = वेलोगों को होनी चाहिए। |
मध्यम पुरुष | त्वं स्या: = तुम्हे होना चाहिए। | युवाम स्यातम् = तुमदोनों को होना चाहिए। | यूयम स्यात् = तुमलोगों को होना चाहिए। |
उत्तम/अन्य पुरुष | अहम् स्याम् = मुझे होना चाहिए। | आवाम स्याव = हमदोनों को होना चाहिए। | वयम स्याम = हमलोगों को होना चाहिए। |
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Conclusion
दोस्तों उम्मीद करता हूँ कि as dhatu roop in sanskrit के 5 लकारों का धातु रूप आपको अवश्य पसंद आया होगा। यदि यह blog post पसंद आया है तो अपने दोस्तों में share जरुर कीजिए । धन्यवाद!