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Sanskrit mein Anuvad । संस्कृत में अनुवाद

Friends इस Article में आप Sanskrit mein Anuvad सीखेंगे। जहां आपको सभी प्रकार के संस्कृत में अनुवाद मिलेंगे।विशेष रूप से संस्कृत का voice (कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य और भाववाच्य) के रूप में, तो चलिए Start करते हैं।

Table of Contents

Sanskrit mein Anuvad – वाच्य (Voice)

कर्तृवाच्य – नियम

  • क्रिया कर्ता के अनुसार
  • कर्ता के अनुसार क्रिया होने से कर्ता प्रधान (उक्त) होता है
  • कर्म के अनुसार क्रिया नहीं होने से कर्म अप्रधान (अनुक्त) होता है
  • कर्ता प्रधान (उक्त) में – प्रथमा विभक्ति होती है
  • कर्म अप्रधान (अनुक्त) में – द्वितीया विभक्ति होती है
हिन्दी वाक्यकर्तृवाच्य
रविन्द्र चन्द्रमा देखता है।रविन्द्र: चन्द्रं पश्यति
मैं तुम्हे बोलता हूँ।  अहं त्वां वदिष्यामि
हमलोग उन्हें देखते हैं।  वयम तान् पश्यामः
लड़के रोटी खाते हैं।  बालकाः रोटिकां खादन्ति
लड़की कलम से पत्र लिखति है।  बालिका कलमेन पत्रं लिखति

कर्मवाच्य – नियम

  • क्रिया कर्म के अनुसार
  • कर्म के अनुसार क्रिया होने से कर्म प्रधान (उक्त) होता है
  • कर्ता के अनुसार क्रिया नहीं होने से कर्ता अप्रधान (अनुक्त) होता है
  • कर्म प्रधान (उक्त) में – प्रथमा विभक्ति होती है
  • कर्ता अप्रधान (अनुक्त) में – द्वितीया होती है
  • क्रिया पद में “य” का योग कर उस क्रिया पद का आत्मनेपदी रूप बनाकर प्रयोग किया जाता है
  • यथा – पठति – पठ्यते
हिन्दी वाक्य कर्मवाच्य
गोपाल के द्वारा चन्द्रमा देखा जाता है।  गोपालेन चन्द्रः दृश्यते
तुम्हारे द्वारा मुझे देखा जाता है।  त्वया अहम् दृश्यते
हमलोगों के द्वारा उन्हें देखा जाता है।  अस्माभिः ते दृश्यन्ते
लडकों के द्वारा खाना खाया जाता है।  बालकै: भोजनं  खाद्यते
लड़की द्वारा कलम से पत्र लिखी जाती है।  बालिकया कलमेन पत्रं लिख्यते
भाववाच्य – नियम
  • क्रिया भाव के अनुसार
  • भाव के अनुसार क्रिया होने से भाव प्रधान (उक्त) होता है
  • भाववाच्य में कर्म नहीं होता है
  • भाववाच्य में कर्ता उक्त होने से उसमें सदैव तृतीया होती है
  • भाववाच्य के क्रिया में भी “य” लगाकर Aatmanepad Dhatu Roop का प्रयोग किया जाता है
  • भाववाच्य में क्रिया हमेशा प्रथम पुरुष के एकवचन में ही होती है
हिन्दी वाक्य कर्तृवाच्य हिन्दी वाक्य भाववाच्य
तुम हँसते हो।  त्वं हससि।तुम्हारे द्वारा हँसा जाता है।त्वया ह्स्यते  
मैं ठहरता हूँ।  अहम् तिष्ठामिमेरे द्वारा द्वारा ठहरा जाता है।मया स्थीयते
लड़कियां रोती हैं।  बालिकाः रुदन्तिलड़कियों द्वारा रोया जाता है।बालिकाभिः रुद्यते
लता हँसती है।  लता हसतिलता के द्वारा हंसी जाती है।लतया हस्यते
तुम लोग गाते हो।यूयम गायथ तुम लोगों के द्वारा गाया जाता है।युष्माभिः गीयते

संस्कृत में अनुवाद – “क्त” और “क्तवतु” प्रत्यय का प्रयोग

क्त निष्ठा – भूतकालिक क्रिया के लिए कृदन्तीय प्रत्यय “क्त” का प्रयोग होता है. “क्त” प्रत्यय का प्रयोग प्रायः कर्मवाच्य में किया जाता है।

यथा – गम् + क्त = गतः, गतम्, गता(तीनों लिंगों में)

हिन्दी वाक्य कर्मवाच्य
मेरे द्वारा पत्र लिखा गया।  मया पत्रं लिखितम्
गुरु के द्वारा व्याकरण समझाया गया।  गुरुणा व्याकरणं बोधितः
मुझसे वहां नहीं बोला गया है।  मया तत्र न वदितम्।
मेरे द्वारा गीत नहीं गाया गया।  मया गीतं न गीतम्
लडकों द्वारा वहां क्या नहीं किया गया।  बालकै: तत्र किम् न कृतम्
राम के द्वारा बाली मारा गया।  रामेण बालिः हतः
तुम्हारे द्वारा वहां क्या खाया गया।  त्वया तत्र किम् खादितम्
अर्जुन कृष्ण के द्वारा समझाये गये।  अर्जुनं कृष्णेन प्रबोधितम्
तुम्हारे द्वारा कथा सुनी गयी।  त्वया कथा श्रुता
तुम्हारे द्वारा मधुर गीत गाया गया।त्वया मधुरं गीतं गीतम्

“क्तवतु” निष्ठा

“क्तवतु” निष्ठा – भूतकालिक क्रिया के लिए कृदन्तीय “क्तवतु” प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है। “क्तवतु” प्रत्यय का प्रयोग कर्तृवाच्य के साथ किया जाता है। यथा – गम् + क्तवतु = गतवान्, गतवत्, गतवता (तीनों लिंगो में)

क्तवतु (तवत् = वान्)

हिन्दी अनुवाद कर्तृवाच्य
राम ने बाण से रावण को मारा।  रामः बाणेन रावणं हतवान्
माताजी अचानक जा चुकी।  माता सहसा गतवती
मेरी शंका दूर हो गई।  मम शंका: गतवती
हमलोग शहर पहुँच गये।  वयं नगरं प्राप्तवन्तः
श्याम सो गया।  श्यामः सुप्तवान्
तुमने कलम कहाँ रख दी।  त्वं कलमं कुत्र रक्षितवान्
मैंने नौकरों को वस्त्र दे दिया।  अहम् भृत्येभ्यो वस्त्रं दत्तवान्
पुष्पा ने हाथ समेट ली।  पुष्पा हस्तं संकोचितवति
वह निबन्ध लिख चूकी।  सा निबंधं लिखितवती
लड़का महल से गिर गया।  बालकः प्रासादात् पतितवान्।

Sanskrit me Anuvad – क्तवा और ल्यप् प्रत्यय का प्रयोग

क्तवा ल्यप्श्च(कर या करके अर्थ में)

क्तवा ल्यप्श्च – “क्तवा” और “ल्यप्” प्रत्ययों का प्रयोग “कर या कर के ” अर्थ में प्रयोग किया जाता है। किन्तु “ल्यप्” pratyay के योग से बने Dhatuj Shabd में Upsarg का प्रयोग किया जाता है।जैसे –

  • क्तवा – पठ् + क्तवा = पठित्वा = पढ़कर/पढ़कर के
  • गम् + क्तवा = गत्वा = जाकर/जाकर के
  • वि + हा + ल्यप् = छोड़कर/छोड़कर के
  • आ + दा + ल्यप् = लेकर/लेकर के
हिन्दी वाक्य कर्तृवाच्य (संस्कृत में अनुवाद)
भोजन कर मैं विद्यालय जाऊंगा।  भोजनं कृत्वा अहं विद्यालयं गच्छामि
किताब पढ़कर मैं तुन्हें पढ़ाऊंगा।  पुस्तकं पठित्वा अहम् त्वां पाठयामि
घर जाकर मैं तुमको पूछूँगा।  गृहं गत्वा अहं पृच्छामि
घर जाकर वह तुम्हे बोलता है।    गृहं गत्वा सः त्वां वादयति
दूध पीकर वह विद्यालय जायेगा।  दुग्धं पीत्वा सः विद्यालयं गमिष्यति
मुझको छोड़कर तुमलोग कहाँ जाते हो।  माम् विहाय यूयम कुत्र गच्छथ
व्याकरण को समझकर मैं जाऊँगा।  व्याकरणं अवगम्य अहं गच्छामि
माता को प्रणामकर वह जायेगा।  मातरं प्रणम्य सः गमिष्यति
लता से हँसकर वह बात करता है।  लतायाः विहस्य सः आलपयति
पाठशाला से आकर मैं खाना खाऊंगा।  पाठशालाया: आगम्य अहं भोजनं खादिष्यामि
हिन्दी वाक्यकर्मवाच्य (संस्कृत में अनुवाद)
भोजन कर मेरे द्वारा विद्यालय जाया जायेगा।  भोजनं कृत्वा मया विद्यालयं गम्यते
व्याकरण पढ़कर मेरे द्वारा तुम्हे पढ़ाया जायेगा।  व्याकरणं पठित्वा मया त्वं पाठ्यसे
घर जाकर मेरे द्वारा तुम्हे पूछा जायेगा।  गृहं गत्वा मया त्वं पृच्छयसे
घर जाकर मेरे द्वारा तुम्हे पढ़ाया जाता है।  गृहं गत्वा मया त्वं पठ्यसे  
गेंद खेलकर उसके द्वारा शहर जाया जायेगा।  कन्दुकं क्रीडित्वा तेन नगरं गम्यते
उसको छोड़कर तुम्हारे द्वारा कहाँ जाया जाता है।  तेन विहाय त्वया कुत्र गम्यसे
संस्कृत विषय को समझकर मेरे द्वारा जाया जायेगा।  संस्कृत विषयं अवगम्य मया गम्यते
माता को प्रणाम कर तुम्हारे द्वारा पढ़ा जायेगा।  मातरं प्रणम्य त्वया पठ्यसे।
सीता से हँस कर उसके द्वारा बात किया जाता है।  सीतायाः विहस्य तेन आलप्यते
गाँव से आकर मेरे द्वारा खाना खाया जायेगा।  ग्रामात् आगम्य मया भोजनं खाद्यते

संस्कृत में अनुवाद – तुमुन् (तुम्)

Tumun (Tum)(“के लिए”) के अर्थ में प्रयोग

तुमुन् (तुम्) – यदि क्रिया के साथ “के लिए” का योग हो और उसकी दूसरी क्रिया के साथ संबंध स्थापित हो तो पूर्व की क्रिया में “तुमुन्” प्रत्यय का योग किया जाता है। यथा –

  • पठ् + तुमुन् = पठितुम्
  • दृश्य + तुमुन् = द्रष्टुम्
  • खाद् + तुमुन् = खादितुम्
  • गम् + तुमुन् = गन्तुम्
hindi sentence hindi to sanskrit translation
वह खेलने के लिए विद्यालय जाता है।  सः खेलितुम् विद्यालयं गच्छति
वह दूध पीने के लिए घर जाता है।  सः दुग्धं पातुम् गृहं गच्छति
तुम पार्क देखने के लिए जाओगे।  त्वं उद्यानं दृष्ट्वा गमिष्यसि
वह तुम्हें जाने के लिए बोलता है।  सः त्वां गन्तुम् वदति।
पुष्पा को देखने के लिए लड़के आते हैं।  पुष्पां द्रष्टुम् बालकाः आगच्छन्ति
वह प्रतिदिन यहाँ दूध देने के लिए आता है।  सः प्रतिदिनं यत्र दुग्धं दातुम् आगच्छति
वे लोग पैसा कमाना चाहते हैं।  ते मुद्रां अर्जितुम् इच्छन्ति
ईश्वर भक्तों की रक्षा करने के लिए अवतार लेते हैं।ईश्वरः भक्तान् रक्षितुम् अवतरति
वे लोग पुराण सुनने के लिए यहाँ आते हैं।  ते पुराणं श्रोतुम् अत्र आगच्छन्ति
मैं गेंद देखने के लिए जाऊँगा।  अहम् कन्दुकं द्रष्टुम गमिष्यामि
हिन्दी वाक्य कर्मवाच्य
मेरे द्वारा पढ़ने के लिए विद्यालय जाया जाता है।  मया पठितुम् विद्यालयं गम्यते  
उसके द्वारा किताब पढ़ने के लिए विद्यालय जाया जाता है।  तेन पुस्तकं पठितुं विद्यालयं गम्यते
तुम्हारे द्वारा पार्क देखने के लिए जाया जायेगा।  त्वया उद्यानं दृष्ट्वा गम्यते
उसके द्वारा तुम्हें जाने के लिए बोला जाता है।  तेन त्वां गन्तुम् वद्यते
पुष्पा को देखने के लिए लड़के द्वारा आया जाता है।  पुष्पां द्रष्टुम् बालकै: गम्यते  
उसके द्वारा प्रतिदिन यहाँ दूध देने के लिए आया जाता है।  तेन प्रतिदिनं यत्र दुग्धं दातुम् आगम्यते  
उनलोगों के द्वारा पैसा कमाना चाहा जाता हैं।  तै: मुद्रां अर्जितुम् इच्छयते  
ईश्वर के द्वारा भक्तों की रक्षा करने के लिए अवतार लिया जाता हैं।ईश्वरेन भक्तान् रक्षितुम् अवतर्यते
उनलोगों के द्वारा पुराण सुनने के लिए यहाँ आया जाता हैं।  तै: पुराणं श्रोतुम् अत्र आगम्यते  
मेरे द्वारा गेंद देखने के लिए जाया जायेगा।   मया कन्दुकं द्रष्टुम् गम्यते
Sanskrit mein Anuvad

संस्कृत टू हिन्दी ट्रांसलेशन – शतृ और शानच् प्रत्यय का प्रयोग

शतृ शानच् – पढ़ता हुआ, देखता हुआ, नाचती हुई, जाती हुई आदि इस प्रकार के अर्थ को प्रकट करने के लिए परस्मैपदी धातु में “शतृ” (अत्) और आत्मनेपदी धातु में “शानच्” (आन्-मान्) प्रत्यय का प्रयोग होता है। जैसे –

शतृ” परस्मैपदी धातु रूप

  • गम् + शतृ = गच्छन् (पुल्लिंग)
  • गम् + शतृ = गच्छती (स्त्रीलिंग)
  • गम् + शतृ = गच्छत् (नपुंसकलिंग)
धातु अर्थ पुल्लिंग स्त्रीलिंग नपुंसकलिंग
भू  होनाभवान्भवन्तीभवत्
पठ्पढ़नापठन्पठन्तीपठत्  
क्रीखरीदनाक्रीणान् कृणती क्रीणात्  
क्रीड्खेलनाक्रीडन्क्रीडती क्रीडत्  
हिन्दी वाक्य कर्तृवाच्य (संस्कृत में अनुवाद)
दौड़ता हुआ बालक विद्यालय जाता है।  धावन् बालकः विद्यालयं गच्छति
रोती हुई लड़की घर जाती है।  रुदन्ती बालिका गृहं गच्छति
गरजता हुआ बाघ दौड़ा।  गर्जन् व्याघ्रः अधावत्
हँसते हुए दो लड़के जाते हैं।  हसन्तः बालकौ गच्छतः
खेलती हुई गीता जाती है।  क्रीडती गीता गच्छति

शानच्” आत्मनेपदी धातु रूप

  • सेव् + शानच् = सेवमानः (पुल्लिंग)
  • सेव् + शानच् = सेवमाना (स्त्रीलिंग)
  • सेव् + शानच् = सेवमानम् (नपुंसकलिंग)
धातु अर्थ पुल्लिंग स्त्रीलिंग नपुंसकलिंग
मन्  माननामन्यमानः मन्यमाना मन्यमानम्
पच्  पकानापचमान:पचमानापचमानम्
जन्पैदा करना  जायमानः जायमाना जायमानम्
कम्प्  काँपनाकम्पमान:क्म्पमानाकम्पमानम्
वृत्होना  वर्तमानः वर्तमाना वर्तमानम्
हिन्दी वाक्य कर्तृवाच्य (संस्कृत में अनुवाद)
गुरु की सेवा करता हुआ छात्र ज्ञान प्राप्त करता है।गुरुं सेवमान: छात्रः ज्ञानं लभते
चावल पकाता हुआ रसोइया सोता है।  ओदनं पचमान: पाचकः शेते
भिक्षा मांगता हुआ भिक्षु इधर-उधर देखता है।  भिक्षां याचमान: याचकः इतस्ततः पश्यति
भटकता हुआ मुर्ख कुआँ में गिरता है।  द्रन्द्म्यमाना: मूढाः कूपे पतन्ति
विद्वान् मानता हुआ पुराण नहीं पढ़ता है।  मन्यमाना: विद्वांस: पुराणं न पठन्ति
हिन्दी वाक्य भाववाच्य (संस्कृत में अनुवाद)
गुरु की सेवा करता हुआ शिष्य द्वारा ज्ञान प्राप्त किया जाता है।गुरुं सेवमानेन शिष्येण ज्ञानं लभ्यते
चावल पकाता हुआ रसोइया द्वारा सोया जाता है।  ओदनं पचमानेन पाचकेन शय्य्ते
भिक्षा मांगते हुए भिक्षु द्वारा इधर-उधर देखा जाता है।  भिक्षां याचमानेन याचकेन इतस्ततः दृश्यते
भटकता हुआ मुर्ख द्वारा कुआँ में गिरा जाता है।  द्र्न्दम्यमानै: मूढै: कूपे पत्यन्ते 
विद्वान् द्वारा मानते हुए पुराण नहीं पढ़ा जाता है।  मन्यमानै: विद्वद्भि: पुराणं न पठ्यन्ते

विशेष – शतृ (अत्) प्रत्ययान्त शब्दों के Striling Shabd Roop बनाने हेतु Lat Lakar प्रथम पुरुष के बहुवचन के जो रूप होते हैं, उसमें ई (डीप्) जोड़ा जाता है। जैसे –

  • पठन्ति + ई = पठन्ती
  • कूजन्ति + ई = कुजन्ती
  • गच्छन्ति + ई = गच्छन्ती
  • पूजयन्ति + ई = पुज्यन्ती

इस तरह के Striling रूपों को Shabd Roop बनाने हेतु नदी के समान roop चलते हैं. जैसे –

विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा  पठन्ती पठन्त्यौपठन्त्यः
द्वितीया  पठन्तीम्पठन्त्यौपठन्ती:
तृतीया  पठन्त्यापठन्तीभ्याम्पठन्तीभिः
चतुर्थी  पठन्त्यैपठन्तीभ्याम्पठन्तीभ्यः
पञ्चमी  पठन्त्या:पठन्तीभ्याम्पठन्तीभ्यः
षष्ठी  पठन्त्या:पठन्त्यो:पठन्तीनाम्
सप्तमी  पठन्त्यांपठन्त्यो:पठन्तीषु
संबोधन  हे पठन्ति! हे पठन्त्यौ!हे पठन्त्यः!

Sanskrit to Hindi Translation – स्यत्, स्यमान् (वाला अर्थ) प्रत्यय का प्रयोग

स्यत् और स्यमान् – संस्कृत में “वाला” अर्थ वाले अनुवाद बनाने के लिए भविष्यत काल (Lrit Lakar) के प्रथम पुरुष के बहुवचन में शतृ (अत्) और शानच् (मान्) प्रत्यय का योग होता है, जिसे स्यत् और स्यमान् प्रत्यय कहते हैं। यथा-

  • भविष्यन्ति + शतृ = भविष्यत् (स्यत्/ष्यत् प्रत्यय)
  • पठिष्यन्ति + शतृ = पठिष्यत् (स्यत्/ष्यत् प्रत्यय)
  • भविष्यन्ति + शानच् = भविष्यमान् (स्यमान्/ष्यमान् प्रत्यय)
  • पठिष्यन्ति + शानच् = भविष्यमान् (स्यमान्/ष्यमान् प्रत्यय)

शतृ प्रत्ययान्त Striling Shabd Roop के समान ही इसका भी शब्द रूप बनेगा. यथा –

विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा  पठिष्यन्ती पठिष्यन्तौ पठिष्यन्त:
द्वितीया  पठिष्यन्तीम्पठिष्यन्तौपठिष्यन्ती:
तृतीया  पठिष्यन्त्यापठिष्यन्तीभ्याम्पठिष्यन्तीभिः
चतुर्थी  पठिष्यन्त्यैपठिष्यन्तीभ्याम्पठिष्यन्तीभ्यः
पञ्चमी  पठिष्यन्त्या:पठिष्यन्तीभ्याम्पठिष्यन्तीभ्यः
षष्ठी  पठिष्यन्त्या:पठिष्यन्त्यो:पठिष्यन्तीनाम्
सप्तमी  पठिष्यन्त्यांपठिष्यन्त्यो:पठिष्यन्तीषु
संबोधन  हे पठिष्यन्ती! हे पठिष्यन्त्यौ!हे पठिष्यन्त्यः!

Hindi to Sanskrit Translation – “स्यत्”

“स्यत्” प्रत्यय से बने हुए Objective words होते हैं, इसलिए विशेष्य के अनुसार इनमें Ling, Vachan and Vibhakti का प्रयोग किया जाता है।

हिन्दी वाक्य कर्तृवाच्य (संस्कृत में अनुवाद)
गीता पढ़नेवाली बालिका को मैंने देखा।  गीतां पठिष्यन्तीम् बालिकां अहम् अपश्यम्
खाना बनानेवाली रसोईया को तुमने क्या बोला?  भोजनं पचिष्यन्तीम् पाचकं त्वं किम् अवद?
पानी भरनेवाली लड़कियों को तुमलोगोंने देखा।  जलं कर्षिष्यन्तीम् बालिकाः यूयं अपश्य  
पेड़ से गिरनेवाली फल को मैंने खाया।  वृक्षात् पतिष्यन्त्या: फलं अहम् अखादम्
कलम से लिखनेवाली किताब को तुमने पढ़ा।    कलमेन लिखिष्यन्त्या पुस्तकं त्वं अपठ
hindi sentence संस्कृत में अनुवाद (कर्मवाच्य )
पुस्तक पढ़नेवाली अनन्या मेरे द्वारा देखी गयी।    पुस्तकं पठिष्यन्तीम् अनन्या मया दृष्टा
खाना बनानेवाली रसोईया को तुम्हारे द्वारा क्या बोली गयी?भोजनं पचिष्यन्तीम् पाचिका त्वया किम् वदिता
पानी भरनेवाली लड़कियों को तुलोगों द्वारा देखी गयी।    जलं कर्षिष्यन्तीम् बालिकाः युवाभ्याम् दृष्टा 
पेड़ से गिरनेवाली फल को मुझसे खाई गयी।  वृक्षात् पतिष्यन्त्या: फलं मया खादिता
कलम से लिखनेवाली किताब को तुझसे पढ़ी गयी।   कलमेन लिखिष्यन्त्या पुस्तकं त्वया पठिता

Sanskrit translation – “स्यमान्”

स्यमान्” प्रत्यय से बने हुए शब्द विशेषण होते हैं, इसलिए विशेष्य के अनुसार इनमें Vachan, Ling and Vibhakti होते हैं।

हिन्दी वाक्य संस्कृत में अनुवाद – कर्तृवाच्य
गुरु की सेवा करनेवाले बालक को मैंने देखा।  गुरुं सेविष्यमानं बालकं अहम् अपश्यम्
गाना गानेवाले गायक को तुमलोगों ने सुना।  गायनं गायमानं गायकं यूयम श्रुतवान्
पीता की सेवा करनेवाले पुत्र को तुमने देखा।  पितरं सेविष्यमानं पुत्रं त्वं अपश्यम्
भगवान को पूजा करनेवाले भक्त को उसने देखा।  ईश्वरं अर्चयमानं भक्तं सः अपश्यम्
छात्र को पढ़ानेवाले शिक्षक को मैंने देखा।  छात्रं पाठ्यमानं शिक्षकं अहम् अपश्य
हिन्दी वाक्य संस्कृत में अनुवाद – कर्मवाच्य  
गुरु की सेवा करनेवाले बालक को मुझसे देखा गया।  गुरुं सेविष्यमानं बालकः मया दृष्टः
गाना गानेवाले गायक को तुमलोगों द्वारा सुना गया।  गायनं गायमानं गायक: युस्माभिः श्रुत:
पीता की सेवा करनेवाले पुत्र को तुम्हारे द्वारा देखा गया।    पितरं सेविष्यमानं पुत्र: त्वया दृष्टः
भगवान को पूजा करनेवाले भक्त को मुझसे देखा गया।  ईश्वरं अर्चयमानं भक्त: मया दृष्टः
छात्र को पढ़ानेवाले शिक्षक को मेरे द्वारा देखा गया।  छात्रं पाठ्यमानं शिक्षक: मया दृष्टः

Sanskrit mein Anuvad – तव्यत्, तव्य और अनीयर् प्रत्यय का (चाहिए अर्थ में) प्रयोग

तव्यत्, तव्य और अनीयर् – Vidhiling Lakar और Lot Lakar की क्रिया को “तव्यत्”, “तव्य” और “अनीयर्” प्रत्यय के योग से कर्मवाच्य और भाववाच्य बनाया जाता है। इन प्रत्ययों के योग में Subject में Tritiya Vibhakti होती है और क्रिया के मूल रूप में “तव्यत्” और “अनीयर्” प्रत्यय जोड़े जाते हैं। यथा –

  • पठ् + अनीयर् = पठनीय: – पढ़ना चाहिए (पुल्लिंग)
  • पठ् + अनीयर् = पठनीया – पढ़ना चाहिए (स्त्रीलिंग)
  • पठ् + अनीयर् = पठनीयम् – पढ़ना चाहिए (नपुंसकलिंग)
  • पठ् + तव्य/तव्यत् = पठितव्य: – पढ़ना चाहिए (पुल्लिंग)
  • पठ् + तव्य/तव्यत् = पठितव्या – पढ़ना चाहिए (स्त्रीलिंग)
  • पठ् + तव्य/तव्यत् = पठितव्यम् – पढ़ना चाहिए (नपुंसकलिंग)

इसका रूप पुल्लिंग में बालक, स्त्रीलिंग में लता और नपुंसकलिंग में फल के समान चलता है.

हिन्दी अनुवाद संस्कृत में अनुवाद (कर्तृवाच्य)
मुझे रामायण पढ़ना चाहिए।  अहम् रामायणं पठेयम्
राम को सिनेमा देखना चाहिए।  रामः चलचित्रं पश्येत्
तुम्हे आम खाना चाहिए।  त्वं आम्रम् खादे:
राम को विद्यालय जाना चाहिए।  रामः विद्यालयं गच्छेत्
मजदूर को काम करना चाहिए।  मजदूर: कार्यं कुर्यात्
Hindi translationSanskrit translation (कर्मवाच्य)
मुझसे रामायण पढ़ा जाना चाहिए।  मया रामायण: पठितव्य:/पठनीय:
राम के द्वारा सिनेमा देखा जाना चाहिए।  रामेन चलचित्र: द्रष्टव्यः/दर्शनीय:
तुम्हारे द्वारा आम खाया जाना चाहिए।  त्वया आम्रः खादनीय:/खादित्व्य:
राम के द्वारा विद्यालय जाया जाना चाहिए।  रामेण विद्यालय: गमनीय:/गन्तव्य:
मजदूर के द्वारा काम किया जाना चाहिए।  मजदूरेन कार्य: करणीय:/कर्तव्य:

Sanskrit to Hindi Translation – णिच् प्रत्यय (प्रेरणार्थक क्रिया) का प्रयोग

णिच् – कर्ता यानि कार्य करने वाला खुद काम न करके किसी दुसरे व्यक्ति से करवाता है तब क्रिया को “प्रेरणार्थक क्रिया” और “कर्ता” को प्रेरक कर्ता अथवा प्रयोजक कर्ता कहा जाता हैं और Dhatu के साथ “णिच्” Pratyay का योग करके बनाया जाता है। यथा

  • पढ़ना (क्रिया) – पढ़ाना (प्रेरणार्थक क्रिया)
  • लिखना (क्रिया) – लिखवाना (प्रेरणार्थक क्रिया)
  • करना (क्रिया) – कराना (प्रेरणार्थक क्रिया)
  • पकना (क्रिया) – पकाना (प्रेरणार्थक क्रिया)
  • पकाना (क्रिया) – पकवाना (प्रेरणार्थक क्रिया)
धातु + णिच्प्रेरणार्थक परस्मैपद प्रेरणार्थक आत्मनेपद
भू + णिच् (भवति)भावयति भावयते
अद् + णिच् (अत्ति)आदयति आदयते
पठ् + णिच् (पठति)पाठयति पाठयते
लिख् + णिच् (लिखति)लेखयति लेखयते
वद् + णिच् (वदति)वादयति वादयते
हिन्दी वाक्य संस्कृत में अनुवाद हिन्दी वाक्य (प्रेरणार्थक)संस्कृत में अनुवाद (प्रेरणार्थक)
कृष्ण चाँद को देखता है।  कृष्णः चन्द्रं पश्यति श्याम कृष्ण को चाँद दिखाता है।  श्यामः कृष्णम् चन्द्रं दर्शयति
श्याम भात पकाता है।  श्याम: ओदनं पचतिकृष्ण श्याम से भात पकवाता है।  कृष्णः श्यामेन ओदनं पाचयति
गीता खाना बनाती है।  गीता भोजनं पचति सीता गीता से खाना बनवाती है।  सीता गीत्या भोजनं पाचयति  
वह किताब पढ़ता है।  सः पुस्तकं पठति मैं उससे किताब पढ़वाता हूँ।    अहम् तेन पुस्तकं पाठयति  
राम काम करता है।  रामः कार्यं करोति देवदत राम से काम करवाता है।  देवदतः रामेण कार्यं कार्यति
बालक गेंद खेलता है।  बालकः कन्दुकं खेलतिशिक्षक बालक से गेंद खेलवाते है।  शिक्षकः बालकेन कन्दुकं खेलयति
रमेश हँसता है।  रमेशः हसतिगणेश रमेश को हँसता है।  गणेशः रमेशेन हासयति
राधा लेख लिखती है।  राधा लेखं लिखति गीता राधा से लेख लिखवाती है।  गीता राध्या लेखं लेखयति
नौकर पेड़ काटता है।  सेवकः वृक्षं छिनति  मालिक नौकर से पेड़ कटवाता है।  स्वामी सेवकेन वृक्षं छिनयति
मजदूर काम करता है।  श्रमिकः कार्यं करोति किसान मजदूर से काम करवाता है।  कृषकः श्रमिकेन कार्यं कार्यती  

Sanskrit mein Anuvad – णमुल प्रत्यय (बार-बार….कर अर्थ में) का प्रयोग

णमुल – किसी क्रिया के बार-बार करने के भाव को प्रकट करने के लिए “णमुल” या “क्त्वा” प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है और धातु “णमुल” का अम् जोड़कर बनाया जाता है। यथा –

  • पा + णमुल् = पायम्
  • दा + णमुल् = दायम्
  • स्ना + णमुल् = स्नायम्
  • स्मृ + णमुल् = स्मारम्
हिन्दी अनुवाद संस्कृत अनुवाद
पानी पी-पीकर रोगी व्याकुल हैजलं पायं पायं वा पीत्वा पीत्वा रोगी व्याकुल: अस्ति  
खाना खा-खाकर लड़का बीमार हो गया  भोजनं भोजं भोजं वा खादित्वा खादित्वा बालकः रुग्ण: जातः
वह बोल बोल कर थक गया हैसः वदायं वदायं वा वदित्वा वदित्वा तमितः  
भक्त बार-बार याद करके भगवान को प्रणाम करता हैभक्तं स्मारं-स्मारं इश्वरं प्रणमति
तुम किताब देख-देखकर बोल रहे हो  त्वं पुस्तकं द्रष्टाम्-द्रष्टाम् वदसि  

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Conclusion

Friends आशा करता हूँ कि यह Blog post Sanskrit mein Anuvad और Hindi to Sanskrit translation से आपको संस्कृत अनुवाद समझने में बहुत ज्यादा Help मिली होगी। और भी संस्कृत का अनुवाद सीखने के लिए हमारा Website visit सकते हैं। तो Friends इस post को read करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!.

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