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Sanskrit Translation in Hindi। अनुवाद बनाने और पहचानने का नियम

दोस्तों यह एक शानदार Article है जिसमें Sanskrit Translation in Hindi में संस्कृत के पंचों लकारों के अनुवाद बनाने और पहचानने का नियम बताया हूँ। साथ ही subject, verb और object का definition और इसके अलावे Sanskrit sentence का structure भी बताया हूँ।

Sanskrit Translation in Hindi – बनाने और पहचानने का नियम

Sanskrit Translation बनाने के लिए धातु रूप Subject (कर्तृ: – कर्ता), Object (कर्म – शब्द रूप) और Verb (क्रिया –धातु रूप) की आवश्यकता होती है।

संस्कृत वाक्य की संरचनाSubject (कर्तृ: – कर्ता) + Object (कर्म – शब्द रूप) + Verb (क्रिया – धातु रूप)

Subject (कर्तृ: – कर्ता) – कार्य करने वाले या जिनके द्वारा कार्य किया/ संपादित किया जाता है, उसे Subject (कर्तृ: – कर्ता) कहा जाता है। जैसे – राधा गीत गाती है। (राधा गीतं गायति) इस वाक्य में गीत (कार्य करने) गाने वाली राधा है यानि राधा Subject (कर्तृ: – कर्ता) है।

संस्कृत में जो Subject (कर्तृ: – कर्ता) होता है, उसे शब्द रूप भी कहा जाता है. संस्कृत में जितने शब्द ( संज्ञा या सर्वनाम शब्द ) होते हैं , उनका शब्द रूप बनता है . संस्कृत में शब्द रूप बनाने के लिए “सुबन्त प्रत्यय” का प्रयोग किया जाता है। शब्द रूप को विस्तृत रूप से अध्ययन करने के लिए हमारा Shabd Roop का Article अध्ययन करें। शब्द रूप का Post पढ़ने के लिए इस शब्द रूप पर click करें।

Object (कर्म – शब्द रूप) – कर्ता के द्वारा संपादित कार्य के परिणाम/ फल जिस पर पड़ता है , उसे Object (कर्म – शब्द रूप) कहते हैं। जैसे – राधा गीत गाती है। राधा गीतं गायति अगर पूछा जाय कि राधा क्या गाती है? तो इसका जवाब होगा की राधा गीत गाती है यानि गीत Object (कर्म – शब्द रूप)  है।  क्योंकि करता के द्वारा गीत गाने का कार्य किया जा रहा है। Object भी शब्द रूप ही होता है।

Verb (क्रिया – धातु रूप) – कार्य होने या करने का बोध हो, उसे Verb (क्रिया – धातु रूप) कहते हैं। जैसे – राधा गीत गाती है। राधा गीतं गायति इस वाक्य में गाती है, Verb (क्रिया – धातु रूप) है। क्योंकि गीत गाने का बोध हो रहा है और गाना एक Verb (क्रिया – धातु) है।

जिस शब्द के अंत में “ना” लगा हो और कोई कार्य होने या करने का बोध हो तो वह शब्द Verb (क्रिया – धातु) शब्द होता है। यथा – पढ़ना (पठ्) , लिखना (लिख्) , गाना , हँसना (हस्) , जाना(गम्) , आना (आगम्) , खोना , पाना (पा) , खेलना (खेल्) , देखना (दृश्) , रोना (रूद्) इत्यादि।

Subject (कर्तृ: – कर्ता) – सर्वनाम शब्द

पपुरुष  एकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथम पुरुष  सः = वह (पुल्लिंग)

सा = वह (स्त्रीलिंग)

तत् = वह (नपुंसकलिंग)
तौ = वे दोनों (पुल्लिंग)

ते = वेदोनों (स्त्रीलिंग)

ते = वेदोनों (नपुंसक लिंग)
ते = वेलोग (पुल्लिंग)

ता = वेलोग (स्त्रीलिंग)

तानि = वेलोग (नपुंसक लिंग)
मध्यम पुरुष  त्वम् = तुम युवाम = तुमदोनों  यूयम = तुमलोग
उत्तम पुरुष  अहम् = मैं आवाम = हमदोनों वयम = हमलोग
Sanskrit translation

Sanskrit Translation in Hindiलट् लकार (वर्तमान काल- Present Tense)

 पहचानने का नियम

 जिस हिन्दी वाक्य के क्रिया (verb) शब्द के अंत में ता है, ती है, ते हैं, ता हूँ, ती हूँ, ते हो,ती हो, रहा है, रही है, रहे हैं, रहा हूँ, रही हूँ, रहे हो, रही हो लगा रहे तो वह वाक्य लट् लकार (वर्तमान काल) present tense  का होता है। जैसे: वह देखता है। इस वाक्य के अंत में “ता है” लगा हुआ है।

 अनुवाद बनाने का नियम

 संस्कृत में अनुवाद बनाने के लिए जिस पुरुष और जिस वचन के कर्तृ: (Subject) होते हैं, उसी पुरुष और वचन के धातु रूप का प्रयोग होता है। जैसे: सा पठति। इस वाक्य में सा प्रथम पुरुष के एकवचन का कर्तृ: (Subject) शब्द है, इसी लिए पठति भी प्रथम पुरुष के एकवचन का धातु रूप का प्रयोग हुआ है।

Sanskrit translation in Hindi

  • वह मुझसे बोलता है। सः मां वदति।
  • तुम शतरंज खेलते हो। त्वं चतुरंगं खेलसि।
  • मैं क्रिकेट देखता हूँ। अहम् क्रिकेटम् पश्यामि।
  • दीपक रोज हँसता है। दीपकः नित्य दिनं हसति।
  • निधि अंगूर खाती है। निधि द्राक्षाम् खादति।

Sanskrit Translation to Hindi – लङ् लकार (अनद्यतन भूतकाल – Past Tense)

पहचानने का नियम

 जिस हिन्दी वाक्य के क्रिया शब्द के अंत में ता था, ती थी, ते थे, रहा था, रही थी, रहे थे, या, यी, ये, आ, ई, ए लगा रहे तो वह वाक्य लङ् लकार ( अनद्यतन भूत  काल) का होता है। जैसे: उसने पढ़ा। इस वाक्य के अंत में लगा हुआ है।

बनाने का नियम

 संस्कृत में अनुवाद बनाने के लिए जिस पुरुष और जिस वचन के कर्तृ: (Subject) कर्ता होते हैं, उसी पुरुष और वचन के धातु रूप का प्रयोग होता है। जैसे: सा अपठत्. इस वाक्य में सा प्रथम पुरुष के एकवचन का कर्तृ: (Subject) कर्ता है, इसी लिए अपठत् भी प्रथम पुरुष के एकवचन का धातु रूप का प्रयोग हुआ है।

Sanskrit translation in Hindi

  • उसने क्या कहा? सः किम् अकथयत्।
  • तुम रामायण पढ़ते थे। त्वं रामायणं अपठ।
  • मैं शहर जा रहा था। अहम् नगरं अगच्छम।
  • सुधा भोजन पकाती थी। सुधा भोजनं अपचत्।
  • आदित्य खेलता था। आदित्यः क्रीडाम् अक्रीदत्।

Sanskrit Translation Onlineलृट् लकार ( भविष्यत् काल – Future Tense)

पहचानने का नियम

 जिस हिन्दी वाक्य के क्रिया शब्द के अंत में गा, गी, गे, लगा रहे तो वह वाक्य लृट् लकार ( भविष्यत् काल) का होगा। जैसे: मैं पढूंगा। इस वाक्य के अंत में गा लगा हुआ है।

बनाने का नियम

 संस्कृत में अनुवाद बनाने के लिए जिस पुरुष और जिस वचन के कर्तृ: (Subject) होते हैं, उसी पुरुष और वचन के धातु रूप का प्रयोग होता है। जैसे: सा पठिष्यति। इस वाक्य में “सा” प्रथम पुरुष के एकवचन का कर्तृ: (Subject) है, इसी लिए “पठिष्यति” भी प्रथम पुरुष के एकवचन का धातु रूप का प्रयोग हुआ है।

Sanskrit translation in Hindi

  • वह कहानी लिखेगा। सः कथां लेखिष्यति।
  • तुम पेड़ से गिरोगे। त्वं वृक्षात् पतिष्यसि।
  • मैं घर से आऊंगा। अहम् गृहात् आगमिष्यामि।
  • संजय गेंद खेलेगा। संजयः कन्दुकं खेलिष्यति।
  • संध्या चावल पकायेगी। संध्या ओदनं पचिष्यति।

Sanskrit Translation class 10 – लोट् लकार (अनुज्ञा – Order)

पहचानने का नियम

 जिस हिन्दी वाक्य के क्रिया शब्द के अंत में ओ, ए, ऊ, या आदेश, अनुरोध, निवेदन, निमंत्रण, आमंत्रण आदि का अर्थ बोध हो तो वह वाक्य लोट् लकार ( अनुज्ञा) का होगा। जैसे: मैं पढूं। इस वाक्य के अंत में लगा हुआ है।

अनुवाद बनाने का नियम

 संस्कृत में अनुवाद बनाने के लिए जिस पुरुष और जिस वचन के कर्तृ: (Subject) होते हैं, उसी पुरुष और वचन के धातु रूप का प्रयोग होता है। जैसे: सः पठतु। इस वाक्य में सः प्रथम पुरुष के एकवचन का कर्तृ: (Subject) है, इसी लिए पठतु भी प्रथम पुरुष के एकवचन का धातु रूप का प्रयोग हुआ है।

Sanskrit translation in Hindi

  • वह उपनिषद् पढ़ें। सः उपनिषदं पठतु।
  • तुम फिल्म देखो। त्वं चलचित्रं पश्य।
  • मैं क्या करूँ? अहम् किम्
  • रामधन पानी लाओ। रामधन: जलं आनयतु।
  • रूपा घर जाए। रूपा गृहं गच्छतु।

Sanskrit Translation in Hindi – विधिलिङ् लकार (चाहिए – Should)

पहचानने का नियम

 जिस हिन्दी वाक्य के क्रिया शब्द के अंत में चाहिए लगा हो तो वह वाक्य विधिलिङ् लकार (चाहिए) का होगा। जैसे: मुझे पढ़ना चाहिए। इस वाक्य के अंत में “चाहिए लगा हुआ है।

अनुवाद बनाने का नियम

 संस्कृत में अनुवाद बनाने के लिए जिस पुरुष और जिस वचन के कर्तृ: (Subject) होते हैं, उसी पुरुष और वचन के धातु रूप का प्रयोग होता है। जैसे: सा पठेत्। इस वाक्य में “सा” प्रथम पुरुष के एकवचन का कर्तृ: (Subject) है, इसी लिए “पठेत्” भी प्रथम पुरुष के एकवचन का धातु रूप का प्रयोग हुआ है।

Sanskrit Translation in Hindi

  • उसे बेहतर काम करना चाहिए। सः अत्युत्क्रिष्ठ: कार्यं कुर्यात्
  • तुम्हें सत्य बोलना चाहिए। त्वं सत्यं वदे।
  • मुझे कठिन मेहनत करना चाहिए। अहम् परिश्रमं
  • जगदीश को परीक्षा देना चाहिए। जगदीशः परीक्षाम् ददातु।
  • कुसुम को पढाई पर ध्यान देना चाहिए। कुसुमः अध्ययनं प्रति एकाग्रतां कुर्यात्

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Conclusion

Friends पूरा यकीन है कि Sanskrit translation in Hindi Article में संस्कृत अनुवाद बनाने और संस्कृत अनुवाद पहचानने का नियम समझ में आया होगा। comment section में अपना विचार जरुर लिखियेगा। धन्यवाद!

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